हिंदोस्तां की मिट्टी के आसमां का जादू, जंग-ए-आज़ादी में ये था उर्दू ज़बां का जादू!

“वो करे बात तो हर लफ़्ज़ से ख़ुश्बू आएऐसी बोली वही बोले जिसे उर्दू आए”– अहमद वसी उर्दू ज़बान (भाषा) अपनी नज़ाकत, शानदार मौसीक़ी, सुरीले अंदाज़ और हिंदुस्तानी तहज़ीब के लिए पहचानी जाती है. उर्दू लिटरेचर की अपनी एक अलग और रिच दुनिया रही है. फ़ारसी के बाद, साल 1830 के आसपास से 1947 तक