इजरायल की खामोशी और दुनियाभर में बेचैनी… अब ईरान ऐसे लेगा इस्माइल हानिया की मौत का बदला!

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Hamas Chief Ismail Haniyeh Death Inside Story: ऐसा पहली बार हुआ है, जब इजरायल अपने किसी बड़े दुश्मन की मौत के बाद भी खामोश है. हमास के राजनीतिक प्रकोष्ठ के प्रमुख इस्माइल हानिया की मौत के 6 दिन बाद भी इजरायल इस कांड की जिम्मेदारी लेने से बच रहा है. वहीं दूसरी तरफ ईरान हानिया की मौत के लिए इजरायल को जिम्मेदार तो ठहरा रहा है, लेकिन वो दुनिया को ये बताने में अभी तक नाकाम रहा है कि आखिर हानिया की मौत हुई कैसे? अब पूरी दुनिया की निगाहें ईरान पर लगी हैं कि वो कहीं बदला लेने के लिए इजरायल पर अटैक ना कर दे. अगर ऐसा हुआ तो जंग तय है.

हानिया की मौत पर इजरायल की खामोशी 
हमास चीफ इस्माइल हानिया की मौत एक ऐसी पहेली बन गई है, जिसका जवाब न उस ईरान को मिल रहा है, जिसकी सरज़मीन पर हानिया की मौत हुई और ना उस इज़रायल को जिस पर हानिया की मौत का इल्ज़ाम लग रहा है. ईरान हानिया की मौत के लिए सीधे-सीधे इज़रायल को जिम्मेदार तो ठहरा रहा है, पर ये नहीं बता पा रहा है कि हानिया की मौत कैसे हुई? उधर, अपने हर दुश्मन की मौत की जिम्मेदारी लेने वाला इजरायल और उसकी खुफिया एजेंसी मोसाद हमास के सबसे टॉप लीडर की मौत के बावजूद पिछले 6 दिनों से खामोश है. अपने सबसे बड़े दुश्मन की मौत की जिम्मेदारी लेने से इजरायल बच रहा है. ऐसा इससे पहले कभी नहीं हुआ था. और इसी चीज़ ने हानिया की मौत और मौत के तरीके को बेहद पेचीदा बना दिया है. 

अयातुल्ला खुमैनी की धमकी से अमेरिका अलर्ट 
लेकिन इसके बावजूद हानिया की मौत ने एक बार फिर से खाड़ी को खौला दिया है. ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खुमैनी की बदला लेने की धमकी के बाद पूरे इलाके में अमेरिका ने अपनी जंगी जहाज़ों को तैनात कर दिया है. हालात इतने ज्यादा तनाव वाले बन चुके हैं कि फिलहाल पूरी दुनिया की नजर ईरान की तरफ है. अगर ईरान ने इजरायल पर हमला बोल दिया, तो ये दुनिया एक और जंग की तरफ धकेल दी जाएगी. लेकिन इस जंग की शुरुआत से पहले ईरान अपने अंदर के दुश्मनों को पहचान कर उनसे हिसाब करना चाहता है. ईरान की सारी जांच एजेंसियां हाल के वक्त की सबसे बड़ी जांच में जुटी हैं. 

इंटेलिजेंस और मिलिट्री के अधिकारियों पर भी शक
जांच ये कि नॉर्थ तेहरान के जिस निशात कंपाउंड में इस्माइल हानिया ठहरे थे, वहां तक बम या मिसाइल किसने और कैसे पहुंचाई? ईरानी और अमेरिकी मीडिया के मुताबिक शक की बिनाह पर अब तक तेहरान में करीब दो दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. इनमें ईरान के सीनियर इंटेलिजेंस अफसर, मिलिट्री अफसर और उस गेस्ट हाउस के कुछ मुलाजिम शामिल हैं, जिसमें हानिया रुके थे. दरअसल हानिया की मौत को ईरान की इंटेलिजेंस और उनके सबसे एलीट फोर्स रेवॉल्यूशनरी गार्ड की नाकामी माना जा रहा है. ईरान के टॉप ऑफिशियल को शक है कि हानिया को मारने के लिए मोसाद ने ईरान के अंदर अपनी घुसपैठ बनाई और इंटेलिजेंस और मिलिट्री के कुछ लोगों को अपने साथ मिलाया. हालांकि ईरान अब भी दुनिया को ये साफ-साफ नहीं बता पाया है कि हानिया की मौत कैसे हुई थी? हानिया की मौत को लेकर दुनिया के सामने दो थ्योरी रखी गई है.

हानिया की मौत को लेकर पहली थ्योरी
जो ईरान की इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड की तरफ से आई है. इस थ्योरी के मुताबिक नॉर्थ तेहरान के जिस निशात कंपाउंड के बेहद सुरक्षित गेस्ट हाउस में हानिया रुके थे, उस गेस्ट हाउस के उनके कमरे में कम दूरी वाले एक मिसाइल से हमला किया गया था. और इस मिसाइल को बहुत ज्यादा दूर नहीं बल्कि नजदीक से ही ऑपरेट किया गया था. रेवोल्यूशनरी गार्ड के मुताबिक हानिया गेस्ट हाउस में चौथी मंजिल के एक कमरे में रुके थे. इस हमले में चौथी मंजिल के उस कमरे को काफी नुकसान पहुंचा. रेवोल्यूशनरी गार्ड का दावा है कि इस मिसाइल में करीब 7 किलो बम था. लेकिन रेवोल्यूशनरी गार्ड ये नहीं बता पा रहा है कि अगर ये मिसाइल कहीं करीब से ही दाग़ा गया,तो वो कौन सी जगह है. हानिया के उस कमरे में रुकने की खबर हमलावर को कहां से मिली? सात किलो विस्फोटक के बावजूद कमरे को बहुत ज्यादा नुकसान क्यों नहीं हुआ? और सबसे बड़ा सवाल ये कि इतने बड़े हमले की इतनी बडी साजिश रची गई और रेवोल्यूशनरी गार्ड या उसके अंसार विंग को इसकी खबर क्यों नहीं लगी?

हानिया की मौत को लेकर दूसरी थ्योरी
ये है कि निशात कंपाउंड के चौथी मंजिल पर जिस कमरे में हानिया रुके थे, उस कमरे में चार से छह हफ्ते पहले ही एक रिमोट बम लगा दिया गया था. 31 जुलाई को जब हानिया कमरे में पहुंचे, तो रात करीब दो बजे रिमोट से बम को डेटोनेट कर दिया गया. इस दूसरी थ्योरी में भी ऊंगली ईरान की इंटेलिजेंस और रेवोल्यूशनरी गार्ड की तरफ ही उठ रही है.

बाहर रची गई साजिश, अंदर हमला
यानी इन दोनों थ्योरी के हिसाब से हानिया की मौत की साजिश भले ही ईरान की सरहद से बाहर रची गई हो, लेकिन उस साजिश को अमली-जामा ईरान के अंदर मौजूद लोगों ने ही पहनाया. और ये वही लोग हो सकते हैं जिनकी इंटेलिजेंस, कुद्स फोर्स या फिर रेवोल्यूशनरी गार्ड के साथ-साथ निशात कंपाउंड तक पूरी पैठ हो. यानी बात घूम-फिर कर रेवोल्यूशनरी गार्ड की तरफ ही आ जाती है. क्योंकि निशात कंपाउंड की सुरक्षा के साथ-साथ तेहरान में हानिया की हिफाजत की जिम्मेदारी भी रेवोल्यूशनरी गार्ड की थी. एक्सपर्ट्स की मानें तो यही वजह है जो ईरान अब तक दुनिया को साफ-साफ और सही-सही ये नहीं बता पा रहा है कि हानिया की मौत का तरीक़ा क्या था. क्योंकि इससे ऊंगली सीधे रेवोल्यूशनरी गार्ड की तरफ उठेगी. वैसे भी ईरान की सरजमीन पर हानिया की मौत से ईरान पूरी दुनिया में शर्मिंदा हो चुका है. इसीलिए रेवोल्यूशनरी गार्ड हानिया की मौत को मिसाइल हमले से जोड़ कर खुद की इज्जत बचाने की कोशिश में लग गया है. ताकि वो दुनिया को ये बता सके कि हमला कहीं दूर से हुआ है. जिसे वो रोक नहीं सकता था। जबकि पहले से ही कमरे में रखे बम की थ्योरी से उसकी कहीं ज्यादा फजीहत होगी.

निशात के कंपाउंड में मौजूद है खास गेस्ट हाउस
जबकि दूसरी तरफ मीडिल ईस्ट और ईरान के दो टॉप अधिकारियों के हवाले से न्यू यॉर्क टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में ये दावा किया है कि हानिया की मौत रिमोट वाले बम से हुई है. अखबार का ये भी दावा है कि ये बम छह से आठ हफ्ते पहले ही निशात कंपाउंड के उस कमरे में रख दिया गया था. जिस कमरे में तेहरान दौरे के दौरान हानिया हमेशा रुका करते थे. वो ईरान की राजधानी तेहरान का उत्तरी इलाक़ा है. और उसी उत्तरी तेहरान में एक बेहद ख़ास जगह है जिसका नाम है निशात. निशात, यानी जॉयफुल, ख़ुशगवार. इस निशात के अंदर एक बड़ा सा कंपाउंड है. और ये पूरा कंपाउंड का एरिया तेहरान के सबसे सुरक्षित इलाके में से एक माना जाता है. इस कंपाउंड की सुरक्षा की जिम्मेदारी इस्लामिक रेवॉल्यूशनरी गार्ड यानी ईरान की सबसे बेहतरीन फ़ोर्स के हवाले है. इस कंपाउंड में कई गेस्ट हाउस हैं. 

इसी गेस्ट हाउस में ठहरते थे खास मेहमान
कहते हैं कि निशात के इस कंपाउंड के अंदर ही तमाम सीक्रेट मीटिंग्स हुआ करती हैं. और तेहरान आने वाले ईरान के ख़ास मेहमानों को इसी कंपाउंड के अलग-अलग गेस्ट हाउस में ठहराया जाता है. ईरान और हमास के रिश्ते जग ज़ाहिर हैं. और ये बात भी दुनिया जानती है कि इज़रायल पर हमले को लेकर ईरान ने हमेशा हमास का साथ दिया है. उसी हमास के पॉलिटिकल विंग के हेड इस्माइल हानिया अक्सर बातचीत के लिए तेहरान का दौरा करते रहे थे. 

हानिया की सबसे बड़ी और आखिरी गलती
सबसे अहम बात ये कि हानिया जब भी तेहरान आते, उन्हें निशात के इसी सबसे सुरक्षित कंपाउंड में मौजूद एक गेस्ट हाउस में ठहराया जाता. हानिया जितनी बार भी तेहरान पहुंचे, वो उसी एक गेस्टहाउस के एक खास कमरे में रुका करते थे. क़तर के बाहर हर रोज़ कई-कई बार अपना लोकेशन बदलने वाले हानिया से बस यहीं गलती हो गई. या यूं कहें कि इस जगह और इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड की ज़बरदस्त सुरक्षा घेरे को देखते हुए वो बेफिक्र हो गए थे. और इसी बेफिक्री का फायदा दुश्मनों ने उठाया.

हानिया की सबसे बड़ी और आखिरी गलती
सबसे अहम बात ये कि हानिया जब भी तेहरान आते, उन्हें निशात के इसी सबसे सुरक्षित कंपाउंड में मौजूद एक गेस्ट हाउस में ठहराया जाता. हानिया जितनी बार भी तेहरान पहुंचे, वो उसी एक गेस्टहाउस के एक खास कमरे में रुका करते थे. क़तर के बाहर हर रोज़ कई-कई बार अपना लोकेशन बदलने वाले हानिया से बस यहीं गलती हो गई. या यूं कहें कि इस जगह और इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड की ज़बरदस्त सुरक्षा घेरे को देखते हुए वो बेफिक्र हो गए थे. और इसी बेफिक्री का फायदा दुश्मनों ने उठाया.

इजरायल जानता था हानिया का ठिकाना
चूंकि इज़रायल जानता था कि हानिया अक्सर तेहरान जाया करते हैं. हालांकि इज़रायल को ये भी पता था कि हानिया का परमानेंट ठिकाना पिछले सात सालों से क़तर की राजधानी दोहा है. इज़रायल या इज़रायली खुफ़िया एजेंसी मोसाद हानिया को कतर में भी अपना निशाना बना सकती थी. लेकिन यहां एक दिक्कत थी. 

मोसाद की रणनीति 
दरअसल, ग़ाज़ा में शांति कायम करने और हमास के कब्जे में बंधक बने इज़रायली नागरिकों को छुडा़ने के लिए जो बातचीत चल रही थी उसमें कतर भी एक अहम रोल निभा रहा था. ऐसे में क़तर की सरज़मीन पर ही हानिया को मार कर इज़रायल क़तर के रूप में मीडिल ईस्ट में एक और नया दुश्मन पैदा करना नहीं चाहता था. इसीलिए मोसाद उस देश में हानिया को अपना निशाना बनाना चाहता था, जिस देश के साथ उसके रिश्ते पहले से ही ख़राब हैं. 

खामोशी से तेहरान जाते थे हानिया
फिर जैसे ही मोसाद को पता चला कि हानिया अक्सर तेहरान आया जाया करता है, तभी से हानिया को तेहरान में ही निशाना बनाने की साज़िश बुननी शुरू हो गई. हालांकि इसमें एक अड़चन थी. हानिया जब भी तेहरान पहुंचते, तो बड़ी ख़ामोशी से जाते. उनके दौरे की ख़बर या तस्वीरें ईरानी मीडिया तक को नहीं मिलती थी. इसलिए पता ही नहीं चलता कि वो कब तेहरान जाएंगे और कब नहीं. 

मोसाद ने ऐसे जुटाई जानकारी
मोसाद ने अब सबसे पहले तेहरान में हानिया के ठहरने की गुप्त जगहों के बारे में जानकारी जुटानी शुरू कर दी. इसमें कई बरस लग गए. लेकिन आखिरकार मोसाद नॉर्थ तेहरान के उस निशात तक पहुंच ही गया, जहां हानिया रुका करते थे. अब मोसाद ने निशात, उसके कंपाउंड, वहां की सुरक्षा और अंदर मौजूद गेस्ट हाउस के बारे में छोटी-छोटी जानकारी जुटानी शुरू कर दी. और तब कहीं जाकर ये जानकारी हाथ लगी कि हानिया जब भी तेहरान आते हैं तो वो निशात के किस गेस्ट हाउस के किस कमरे में ठहरते हैं.

रईसी की हेलीकॉप्टर क्रैश में मौत
इस्माइल हानिया के बारे में जानकारी जुटाने का काम पूरा हो चुका था. अब ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए हानिया को तेहरान तक पहुंचाना था. वो भी ऐसे कि वो छुप कर तेहरान आने की बजाय खुल कर वहां पहुंचे. ताकि उसकी मौजूदगी की खबर मिल जाए.

ऐसे शुरू हुई मोसाद की साजिश
बीस मई को ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलीकॉप्टर क्रैश में मौत हो जाती है. ज़ाहिर है रईसी की मौत के बाद अब ईरान को अगला राष्ट्रपति चुनना था. राष्ट्रपति चुनने के बाद उनका शपथ ग्रहण समारोह भी होना था. और इस समारोह में हिस्सा लेने के लिए ईरान के तमाम दोस्त देश के रहनुमाओं को भी बुलाना था. समारोह में हानिया का आना तय था. और बस यहीं से ऑपरेशन हानिया को अंजाम देने की आख़िरी साज़िश की शुरुआत होती है.

हमले के थे कई ऑप्शन
मोसाद को पता था कि हानिया तेहरान में मौजूद निशात के किस गेस्ट हाउस के किस कमरे में ठहरते हैं. हमले के कई ऑप्शन थे. मिसाइल से हमला. ड्रोन से हमला. या फिर प्लेन से हमला. लेकिन ऐसे हमलों में हानिया के साथ-साथ कंपाउंड में ठहरे बाक़ी मेहमानों को भी नुकसान पहुंचने की उम्मीद थी. इसके अलावा एयर स्ट्राइक करने से सीमाई उल्लंघन, जंग छेड़ने और हमले का इल्ज़ाम भी लगना था. जबकि इज़रायल ऐसे किसी सीधे ऑपरेशन से बचना चाहता था. 

अकेले मोसाद के बस का नहीं था ये काम
इसलिए मोसाद ने पहले से ही तय किया कि हमला ऐसा होगा कि सिर्फ कमरे को ही नुकसान पहुंचेगा, जिसमें हानिया ठहरेंगे. पर सवाल ये था कि तेहरान की सबसे सुरक्षित जगह पर घुस कर वहां कमरे में बम कैसे पहुंचाया जाए? जाहिर है ये काम अकेले मोसाद के बस का नहीं था. इसके लिए कंपाउंड के सुरक्षा घेरे को तोड़ना जरूरी था. तो क्या रिवॉल्यूशनरी गार्ड में मोसाद का कोई घुसपैठिया था? या फिर कंपाउंड में मोसाद का कोई अपना आदमी? क्योंकि बिना किसी अंदरुनी के मिली भगत के इतनी सुरक्षित जगह पर बम रखना नामुमकिन था.

हमले के लिए रिमोट बम का इस्तेमाल!
फिलहाल ये तो पता नहीं कि कमरे तक बम कैसे पहुंचा, लेकिन ये साफ हो चुका है कि उस कमरे में बम लगभग दो महीने पहले रखा गया था. जो बम कमरे में रखा गया था वो एक रिमोट बम था. यानी इस बम को रिमोट से ही डेटोनेट किया जा सकता था. पर इस रिमोट का बटन किसने दबाया और ये रिमोट गेस्ट हाउस से कितनी दूरी पर था, ये भी अभी साफ नहीं है.

रात के ठीक 2 बजे हुआ बम धमाका
ईरानी सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक तेहरान के लोकल टाइम के हिसाब से देर रात ठीक दो बजे रिमोट से बम को डेटोनेट किया गया था. धमाका ठीक उसी कमरे में हुआ, जिस कमरे में हानिया अपने बॉडीगार्ड के साथ रुके थे. इस कंपाउंड में चौबीसों घंटे मेडिकल स्टाफ भी रहा करता था. धमाके की आवाज सुनते ही सुरक्षा गार्ड उस कमरे की तरफ गए जिसमें हानिया रुके थे. धमाके की वजह से कमरे की एक दीवार ढह गई, जबकि कुछ खिड़कियों के शीशे चकनाचूर हो गए. जब मेडिकल टीम हानिया के कमरे में पहुंची, तब तक उनकी मौत हो चुकी थी. बॉडीगार्ड की सांसें तब भी चल रही थी. लेकिन कुछ देर बाद उसने भी दम तोड़ दिया.

कमरे के अंदर से ही हुआ था बम धमाका
हानिया के ठीक बराबर वाले कमरे में फिलिस्तीनी इस्लामिक जेहाद और जियाद अल नख़ाला के लीडर भी ठहरे हुए थे. पर उनके कमरे को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ. मौके पर सबसे पहले पहुंचे रिवॉल्यूशनरी गार्ड और कुद्स फोर्स के अफसरों के मुताबिक हानिया के कमरे में जिस तरह से धमाका हुआ, उससे ये साफ हो गया था कि ये धमाका किसी बाहरी मिसाइल या ड्रोन से नहीं हो सकता. धमाका कमरे के अंदर से ही हुआ था. और यहीं से ये बात साफ हो गई कि बम पहले से ही कमरे में रखा हुआ था. मिसाइल या ड्रोन अटैक की थ्योरी इसलिए भी खारिज की जा रही है, क्योंकि ईरानी एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देकर ऐसा करना मुश्किल है.

हानिया की मौत का बदला लेने के ऐलान
धमाके के फौरन बाद सबसे पहले हानिया के मौत की खबर कुद्स फोर्स के कमांडर इन चीफ और इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड के चीफ को दी गई. हानिया की मौत की पुष्टि होने के बाद देर रात को ही ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खुमैनी को इस जानकारी दी गई. धमाके के चार घंटे बाद रिवॉल्यूशनरी गार्ड ने एक बयान जारी किया. इस बयान में हानिया की मौत का ऐलान किया गया. इसके बाद सुबह सात बजे अयातुल्ला खुमैनी ने ईरानी की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल को अपने घर पर बुलाया. इमरजेंसी मीटिंग हुई. इस मीटिंग में उन्होंने हानिया की मौत का बदला लेने के लिए इज़रायल पर हमले की बात कही.

ईरानी फोर्स पर उठ रही उंगलियां
हानिया की मौत के बाद रिवॉल्यूशनी गार्ड और कुद्स फोर्स की शुरुआती जांच में भी इस बात की पुष्टि की गई है कि धमाका कमरे में रखे बम से ही हुआ है. और ये बम काफी पहले वहां प्लांट किया गया. सूत्रों के मुताबिक शुरुआत में ईरानी मीडिया ने ही सबसे पहले हानिया की मौत की वजह मिसाइल हमला बताया था. लेकिन अब रिवॉल्यूशनरी गार्ड और कुद्स फोर्स की तस्दीक के बाद ऊंगलियां उन्हीं की तरफ उठ रही हैं. क्योंकि जिस कंपाउंड में हानिया ठहरे थे, उसकी पूरी सुरक्षा की जिम्मेदारी रिवॉल्यूशनरी गार्ड की थी. 

रिवॉल्यूशनरी गार्ड या कुद्स फोर्स में गद्दार!
ऐसे में उसी कंपाउंड में कोई छह से आठ हफ्ते पहले उस कमरे में बम रखता है, और इसकी भनक किसी को नहीं लगती. ये सुरक्षा में भी सबसे बड़ी लापरवाही है. चूंकि इस कंपाउंड में किसी आम इंसान या आम सरकारी या फोर्स के स्टाफ तक के आने पर रोक है, तो ऐसे में शक यही है कि बम रखने वाला कोई विश्वासघाती है. और इसकी जांच शुरू भी हो चुकी है. जांच इस बात की भी हो रही है कि कहीं रिवॉल्यूशनरी गार्ड या कुद्स फोर्स में मोसाद के जासूस भी तो नहीं छुपे बैठे हैं! 

कुछ इसी अंदाज में हुआ था न्यूक्लियर साइंटिस्ट मोहसिन का मर्डर
साथ ही इस सवाल का जवाब भी अभी सामने आना बाक़ी है कि धमाके के लिए रिमोट को कहां से ऑपरेट किया गया. तेहरान के अंदर से, कंपाउंड के करीब से या फिर सैटेलाइट के ज़रिए कहीं दूर से. इससे पहले साल 2020 में ईरान के टॉप न्यूक्लियर साइंटिस्ट मोहसिन फखरीज़ादेह की हत्या भी कुछ इसी तरीके से की गई थी. मोहसिन को गोली मारी गई थी और ये गोली रिमोट कंट्रोल के ज़रिए ए.आई. रोबोट वेपन से चलाई गई थी. यानी सैटेलाइट के ज़रिए. हानिया पर भी हमला ठीक उसी अंदाज़ में हुआ है. न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि हानिया की मौत घर के अंदर रखे बम से ही हुई है. और ये बम लगभग दो महीने पहले वहां रखा गया था. ये रिपोर्ट मीडिल ईस्ट और ईरान के सात अधिकारियों के बयान पर आधारित है. 

ईरान

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